रूसी सेना ने यूक्रेन में एक स्कूल पर की बमबारी, 60 से अधिक लोगों के मारे जाने की आशंका
इंडिया एज न्यूज नेटवर्क
मास्कों : यूक्रेन के साथ 75 दिनों से जारी जंग के बीच मास्कों में आज रूस 77वां विजय दिवस मना रहा है। इस बीच रूसी सेना ने यूक्रेन में एक स्कूल पर बमबारी की जिसमें में 60 से अधिक लोगों के मारे जाने की आशंका है। विजय दिवस के इस मौके पर परेड समारोह भी आयोजित किया जा रहा है जिसमें रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन देश को संबोधित भी करेंगे । राष्ट्र के नाम पुतिन का संबोधन को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं कि पुतिन इस दौरान यूक्रेन जंग को लेकर कोई बड़ा ऐलान कर सकते हैं। ये कार्यक्रम हर साल 9 मई को आयोजित किया जाता है। ये 8 मई 1945 को नाजी जर्मनी की हार और आत्मसमर्पण के साथ यूरोप में द्वितीय विश्व युद्ध के अंत का भी प्रतीक माना जाता है। इस बीच यूक्रेन में एक स्कूल पर बमबारी में 60 से अधिक लोगों के मारे जाने की आशंका है। यूक्रेन के अधिकारियों ने यह जानकारी दी। इससे पहले रूस ने रविवार को दक्षिणी यूक्रेन के बंदरगाह शहर मारियुपोल पर पूरी तरह से कब्जा करने की कोशिश की थी।
समुद्र तट पर स्थित विशाल इस्पात मिल, शहर का एकमात्र हिस्सा है जो रूसी नियंत्रण में नहीं है। यहां करीब 2,000 यूक्रेनी लड़ाके हैं। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा कि वह शनिवार को बिलोहोरिवका के पूर्वी गांव में कथित रूप से एक स्कूल पर हुई बमबारी से ‘‘स्तब्ध” हैं और यह इस बात को दर्शाता है कि ‘‘ युद्ध में सबसे अधिक कीमत नागरिक ही चुकाते हैं।” लुहान्स्क प्रांत के गवर्नर ऐर्हिए हैदी ने ‘टेलीग्राम ऐप’ पर बताया कि इस स्कूल में बने तहखाने में करीब 90 लोगों ने शरण ले रखी थी। आपात सेवा कर्मियों को दो शव बरामद हुए हैं और 30 लोगों को उन्होंने वहां से निकाला है, ‘‘लेकिन मलबे में दबे अन्य 60 लोगों के मारे जाने की आशंका है।” प्राइविलिया में रूसी गोलाबारी में भी 11 और 14 वर्ष के दो लड़के मारे गए। लुहान्स्क, औद्योगिक केंद्र डोनबास का हिस्सा है जिस पर रूस कब्जा करने की कोशिश कर रहा है। रूस नौ मई , द्वितीय विश्व युद्ध में नाजी जर्मनी पर तत्कालीन सोवियत संघ की जीत को ‘विजय दिवस’ के रूप में मनाता है और उसने इस साल इसे मनाने की पूरी तैयारी की है।
इस बीच, पश्चिम देशों के नेताओं और मशहूर हस्तियों के एक समूह ने एकजुटता व्यक्त करने के लिए यूक्रेन का औचक दौरा किया। अमेरिका की प्रथम महिला जिल बाइडेन ने यूक्रेन की अपनी समकक्ष से मुलाकात की। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कीव में अपने दूतावास में अपने देश का झंडा फहराया। बैंड ‘यू2′ के गायक बोनो ने संगीतकार द एज़ के साथ कीव मेट्रो स्टेशन में एक प्रस्तुति दी, जहां बमबारी से बचने के लिए लोगों ने शरण ले रखी है। उन्होंने 1960 के दशक का गीत ‘स्टैंड बाय मी’ गाया। यूक्रेन में कार्यवाहक अमेरिकी राजदूत क्रिस्टीना केविएन ने अमेरिकी दूतावास की अपनी एक तस्वीर साझा की और अमेरिका के यूक्रेन की राजधानी कीव में अपनी सेवाएं बहाल करने की योजना के बारे में जानकारी दी।
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की और अन्य ने हाल के दिनों में आगाह किया था कि रूसी हमले ‘विजय दिवस’ के उपलक्ष्य में और बढ़ सकते हैं। इसके मद्देनजर कुछ शहरों में कर्फ्यू की घोषणा की गई है या लोगों को सार्वजनिक रूप से इकट्ठा होने के खिलाफ भी आगाह किया गया है। ऐसा कहा जा रहा है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ‘विजय दिवस’ पर रेड स्क्वायर पर अपने सैनिकों को संबोधित करते हुए यूक्रेन में किसी तरह की बड़ी उपलब्धी की घोषणा करना चाहते हैं।
जंग के माहौल के बीच भी परेड समारोह को लेकर सेना का जोश चरम पर नजर आ रहा है। मॉस्को के रेड स्क्वायर पर फुल ड्रेस रिहर्सल भी की गई है जो विजय दिवस परेड की झलक है। आज भारतीय समय के मुताबिक दोपहर 12.30 बजे रेड स्क्वॉयर पर विजय दिवस परेड निकाली जाएगी. इसके बाद शाम 5.30 बजे रुस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन युद्ध में मारे गए सैनिकों को श्रद्धांजलि देंगे। वहीं रात 12.30 बजे द्वितीय विश्व युद्ध में भाग लेने वाले सैनिकों के रिश्तेदार तस्वीरों के साथ लोग पारंपरिक ‘अमर रेजिमेंट’ मार्च में शामिल होंगे।
यूक्रेन के तबाह हो चुके बंदरगाह शहर मारियुपोल में एक इस्पात संयंत्र के नीचे बंकरों में शरण लिए नागरिकों का अंतिम जत्था भी रविवार देर रात जापोरिज्जिया शहर पहुंचा। बंकरों से निकाले गए लोगों ने लगातार बमबारी, भोजन की कमी और भोजन पकाने के लिए ईंधन के तौर पर हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल करने की बात कही। जापोरिज्जिया की सुनसान सड़कों पर रात के घने अंधेरे के बीच 10 बसें मारियुपोल इलाके से 174 लोगों को लेकर पहुंचीं। इनमें अजोवस्तल इस्पात संयंत्र से अंतिम दिन बचाए गए 51 में से 30 नागरिक शामिल थे। अनुमान है कि इस संयंत्र में यूक्रेन के तकरीबन 2,000 लड़ाके फंसे हुए हैं।
(जी.एन.एस)